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एक गीत जो तुमने सुना नहीं , वो गीत अधूरा रह गया है , ऐसा क्या हासिल हुआ तुमको प्रिय, "बेज़ार" गीत लिखना भूल गया है । सुन कर गीत मेरे तुम जो धीमे से मुस्काती थी , मैं जो पढ़ता इक मिसरा तो दूजा मन ही मन दोहराती थी , राधा की कथा सुनाकर मुझको , तेरा किरदार कृष्ण का हो गया है । ऐसा क्या हासिल हुआ तुमको... आगे पढ़ें
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इंतज़ार का आलम कुछ ऐसा है कि सावन भी पतझड़ सा लगने लगा है Pen name : शब्दगंध
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