Boo

Subhankar Dey
Subhankar Dey

20 दिन

ENTJ

मेष

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शायद

ढूंढ रहा किसे तू परिंदे, न नाम पता न मंज़िल, शायद एक तरफ़ा इश्क़ हो चला हैं, ठहर ज़रा ! जिस मुस्कान के आहोश हो गया तू शामिल, शायद सब ख़ुमार हैं, अजनबी तू सुधर ज़रा! क्या तुझे प्यार हैं या कमज़ोर दिल का मरीज़, अब न कहत चल, कि तू मजबूर हैं ! ढूंढ रहा तू ताज़गी, ऐसा की भूला मंज़िल, शायद वह भा गयी तूझें, पर तू न सहझत हैं !

शायद इस स्थिरता में मन शांत न रहा 🙃

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