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Mohit Kumar
Mohit Kumar

29d

INFJ

Aquarius

कुछ इस तरह से मैंने जीवन सजा लिया

कुछ इस तरह से मैंने जीवन सजा लिया हर बार एक नया चेहरा लगा लिया तकदीर की लकीरे हाथो में रुक गयी कदमो की आहटो से मंजिल ठहर गयी अपनों की आरज़ू को हर पल मिटा दिया हर बार एक नया चेहरा लगा लिया कुछ इस तरह से मैंने जीवन सजा लिया हर बार एक नया चेहरा लगा लिया अपनों का न कभी गैरो का बन सका साँसों की आरजू हिस्सा न बन सका मेरे वजूद को सबने भुला दिया हर बार एक नया चेहरा लगा दिया गुमनाम जिंदगी अनजान रस्ते पे चलते है साथ साथ जीने की आरजू ने मुखबिर बना दिया - ये कविता मेरी नहीं है, मैं बस इसे आप सब से साझा करना चाहता था।

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